खरिहान
कविताएं- केशव 'कहिन' और ग़ज़लें- के 'नज़र' के नाम से
सोमवार, अगस्त 19, 2013
मै आज फिर से आदमी
सारा राशन चूक गया,
करता क्या- लाचार था,
पारा सौ के पार था,
दो हफ्ते से बीमार था,
ऐसा पहले हुआ न कभी,
बाट देखते घर के सभी,
अस्पताल से घर आया,
घर से फिर बाहर आया,
साइकिल को पंचर पाया,
मै आज फिर से आदमी.
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