गुरुवार, दिसंबर 27, 2012

वो दिन गए दिलवाली थी ये


वो दिन गए दिलवाली थी ये, अब ये बड़ा एन. सी. आर. देखो.  
दो दिन की जिन्दगी है बाबू मेरे,  तमाशे यहाँ के तो चार देखो.

जगमग है मीना-बाजार देखो, दिल्ली का क़ुतुब मीनार देखो.
बड़ी-बड़ी चीज़ों का नज़ारा करो, चढ़ कर के सारा संसार देखो.

कॅामन-वेल्थ और भागीदारी भी है- कपड़े-लत्ते तार-तार देखो,
फ्लाई-ओवर सुविधा की खातिर बने, सड़कों से उठती पुकार देखो.

पढ़ने की फीस बहुत भारी यहाँ-  इज्जत की जूतम-पैजार देखो,
धौला-कुआं वाला पकड़ा गया, तो- मेरठ का ताज़ा शिकार देखो.

गुनाहों पर पुलिस बहुत सख्त है, टी.वी. में बूटों की मार देखो,
शर्म कितनी कितनी ज्यादा है दैया मेरी- ठंढे पानी की बौछार देखो.

दिल्ली की ऐसी सरकार देखो, विज्ञापन भरे हैं- अखबार देखो,
कूड़े के ढेर पर तो सोते हैं वे- कहते हैं यू. पी. बिहार देखो.

मैडमों का राज है, ऐ मुनिया मेरी, बातें न करना बेकार देखो,
नारे थे वोट के लिए ही मेरी जान, दुश्मन है नारी की- नार देखो.
दिल्ली का क़ुतुब मीनार देखो...
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बुधवार, दिसंबर 19, 2012

बस और माया कैलेंडर

दिन भर टी. वी. देखा था-
गाँव से आये चाचाजी ने,
और बड़बड़ाए थे, 
पूरी रात-
बचा लो... 
कोई है?
हे धरती माता..
पूछे जा रहे हैं आज, 
सुबह से ही,
बचवा- बताओ,
या पता करो,
बस कहाँ और कब बनी थी.
माया कैलेंडर बनाने वालों ...
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डिजिटल इतिहास

वे बनाए जा रहे हैं,
इतिहास, 
जिसे लिखा जाएगा,
डिजिटल-
बदले जा सकते हैं,
जिनके फॉण्ट, 
और आकार,
अपनी सुविधानुसार,
परन्तु,
नियमानुसार, 
नहीं बदली जायेंगी-
संख्या, स्थान और तिथियाँ,
हां, बदल सकते हैं अभी ...
लिखने से पहले,
डिजिटल इतिहास.
माफ कीजियेगा ...
जस्ट होल्ड ऑन प्लीज...
कोई ब्रेकिंग न्यूज है टी वी पर.
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मरा हुआ आदमी!

थका हुआ आदमी-
उतना थका नहीं होता,
जितना एक मरा हुआ आदमी,
होता है मरा हुआ,
थामे हाथों में,
कैमरे फ्लैश वाले, 
और कलम पारकर की,
चिल्लाता बैठ कर,
समूह और जत्थों में,
पटकता माथा, 
मातम मनाता,
अपनी मौत का!
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