सोमवार, मई 27, 2013

आओ, मुझको प्यार कर दो!


हिल तो रही थीं दीवारें,
पर, पीठ लगाए बैठा था,
अब ज़मीन भी घूम रही है,
आओ- मुझको प्यार कर दो.
बार-बार दिल में आता है,
उछल के छू लूं नील गगन,
डरता हूँ, तुम रूठ न जाओ,
उठो, मुझे लाचार कर दो.
जी करता है, राग मचा दूं,
इस दुनिया को आग लगा दूं,
घमासान हो- इसके पहले,
बढ़ो- मुझे बेकार कर दो.
कितना अकेला, अधूरा हूँ मै,
तुम बिन कहाँ से पूरा हूँ मै,
क्या जानो कि क्या हो जी तुम?
चलो, ये घर- संसार कर दो.
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4 टिप्‍पणियां:

  1. बकवास पोएट्री ..... "प्यार कर लो" या "प्यार करो" या "प्यार दो" तो समझ में आता है पर ये "प्यार कर दो" क्या होता है? नहीं लिखते बनती तो मत लिखा करो भाई........ऐसी भी कोई जोर जबरदस्ती नहीं है।

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  2. बकवास पोएट्री ..... "प्यार कर लो" या "प्यार करो" या "प्यार दो" तो समझ में आता है पर ये "प्यार कर दो" क्या होता है? नहीं लिखते बनती तो मत लिखा करो भाई........ऐसी भी कोई जोर जबरदस्ती नहीं है।

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