कविताएं- केशव 'कहिन' और ग़ज़लें- के 'नज़र' के नाम से
बुधवार, दिसंबर 19, 2012
बस और माया कैलेंडर
दिन भर टी. वी. देखा था- गाँव से आये चाचाजी ने, और बड़बड़ाए थे, पूरी रात- बचा लो... कोई है? हे धरती माता.. पूछे जा रहे हैं आज, सुबह से ही, बचवा- बताओ, या पता करो, बस कहाँ और कब बनी थी. माया कैलेंडर बनाने वालों ... ---
Good one
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