मंगलवार, फ़रवरी 12, 2013

कांटे- गुलाब के साथ


कल कहा मैंने, 
काँटों से,
क्या नहीं सोचते कुछ भी?
उग आते हो बेझिझक, 
और रहते हो, 
बेशर्मी से- 
मखमली-नाजुक-खूबसूरत,
गुलाबों के साथ,
कहाँ वो,
तुम कहाँ?

पहले तन गया,
सुन कर और जरा,
फिर कहा कांटे ने-

अक्सर रोती है कली,
और कहती है मुझसे-

अभी यह हाल है मेरा,
तुम्हारे होते! 
भैया कांटे,
अगर तुम न होते... 
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7 टिप्‍पणियां:

  1. अच्छी रचना.
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  2. simply superb. Nice Lines.
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  3. सही कहा कली ने ... अगर कांटे न होते तो उनका क्या होता ...

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  4. बेह्तरीन अभिव्यक्ति
    प्यार पाने को दुनिया में तरसे सभी, प्यार पाकर के हर्षित हुए हैं सभी
    प्यार से मिट गए सारे शिकबे गले ,प्यारी बातों पर हमको ऐतबार है

    प्यार के गीत जब गुनगुनाओगे तुम ,उस पल खार से प्यार पाओगे तुम
    प्यार दौलत से मिलता नहीं है कभी ,प्यार पर हर किसी का अधिकार है

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