हिल तो रही थीं दीवारें,
पर, पीठ लगाए बैठा था,
अब ज़मीन भी घूम रही है,
आओ- मुझको प्यार कर दो.
बार-बार दिल में आता है,
उछल के छू लूं नील गगन,
डरता हूँ, तुम रूठ न जाओ,
उठो, मुझे लाचार कर दो.
जी करता है, राग मचा दूं,
इस दुनिया को आग लगा दूं,
घमासान हो- इसके पहले,
बढ़ो- मुझे बेकार कर दो.
कितना अकेला, अधूरा हूँ मै,
तुम बिन कहाँ से पूरा हूँ मै,
क्या जानो कि क्या हो जी तुम?
चलो, ये घर- संसार कर दो.
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अब ज़मीन भी घूम रही है,
आओ- मुझको प्यार कर दो.
बार-बार दिल में आता है,
उछल के छू लूं नील गगन,
डरता हूँ, तुम रूठ न जाओ,
उठो, मुझे लाचार कर दो.
जी करता है, राग मचा दूं,
इस दुनिया को आग लगा दूं,
घमासान हो- इसके पहले,
बढ़ो- मुझे बेकार कर दो.
कितना अकेला, अधूरा हूँ मै,
तुम बिन कहाँ से पूरा हूँ मै,
क्या जानो कि क्या हो जी तुम?
चलो, ये घर- संसार कर दो.
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nice lines
जवाब देंहटाएंBahut sundar panktiyan ... Prem ka touch liye ...
जवाब देंहटाएंबकवास पोएट्री ..... "प्यार कर लो" या "प्यार करो" या "प्यार दो" तो समझ में आता है पर ये "प्यार कर दो" क्या होता है? नहीं लिखते बनती तो मत लिखा करो भाई........ऐसी भी कोई जोर जबरदस्ती नहीं है।
जवाब देंहटाएंबकवास पोएट्री ..... "प्यार कर लो" या "प्यार करो" या "प्यार दो" तो समझ में आता है पर ये "प्यार कर दो" क्या होता है? नहीं लिखते बनती तो मत लिखा करो भाई........ऐसी भी कोई जोर जबरदस्ती नहीं है।
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