शनिवार, जुलाई 07, 2012

तमाशा उनका है, तमाश-बीन भी वही!


हालात पे रोना है यूं- तो कीजिये भी क्या,
जानी ना कद्र, तुर्रा ये- शौक़ीन भी वही.

हैरान होके लीजिए न, नाम खुदा का,
जो एक है, सो दूसरा- और तीन भी वही.

सरकार दर्द जानती, सरकार देखती,
पर माजरा अजीब है कि, दीन भी वही.

हट जाइए, सो जाइए, कि भूल जाइए,
जिसकी नज़र में किस्सा- ग़मगीन भी वही.

नुक्ताचीनी किस पे, किस बात पे नज़र
ये तमाशा उनका है, तमाश-बीन भी वही.
----

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

आपने कहा-