गुरुवार, मार्च 21, 2013

यादें बचपन की.


कभी हँसाएं, कभी रुलाएं, क्या-क्या रंग दिखाएं,
यादें बचपन की, ये यादें बचपन की.

सुबह सवेरे घर से निकलते, घर का रुख ना करते,
जब तक मम्मी ढूंढ ना लेती, कहाँ-कहाँ हम फिरते,
तीखी मीठी डांटे सुनते, मुँह में हँसी दबाए.
...यादें बचपन की.
जब तक पापा घोड़ा बनते, दूध ना तब तक पीते,
गुस्सा आता तो पापा की, मूंछ पकड़ के लटकते,
आती नींद तभी जब पापा, गोद में रख के सुलाएं.
... यादें बचपन की.
चोटी मेरी खींच के भैय्या, खूब मरम्मत करते,
फिर टॉफी दे कान पकड़ते, सौ-सौ नाक रगड़ते,
रानी बन हम खाते वही, जो अपने मन को भाए.
...यादें बचपन की.

साईकल पर जब बस्ता रखकर, हम स्कूल से चलते,
तुम उलझाते साईकल मेरी, सड़क पे दोनों गिरते,
बात न करते तुमसे हफ्तों, रहते नाक फुलाए.
... यादें बचपन की.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

आपने कहा-